दिल् गया, तुम् ने लिया, हम् क्या करेँ?
जाने॒ वाली चीज़् का घ़म् क्या करेँ!?
- दाघ़् दह्ल्वी
[ख़म् = bent, crooked]
ज़ुल्म् मेँ, यारो!, कमर् ख़म् क्या करेँ?
अब् मुहब्बत् मेँ पलक् नम् क्या करेँ!?
[मर्हम् = healing ointment]
हर् नज़र् क़ुर्बान् कर् देती है॒ यूँ!
तेरे॒ घाइल् दौर्-ए॒ मर्हम् क्या करेँ!?
[नस्ल्-ए आदम् = lineage of Adam; humanity]
नाम्-ए॒ मज़्हब् पर् हुए हैँ क़त्ल्-ए॒ ऽआम्;
अब् तो॒ कह् दे नस्ल्-ए॒ आदम् क्या करेँ?
[बुत् = idol; beloved]
[मुसल्लम् = accepted, submitted]
जब् बुतोँ का जल्व: दिल् पर् बस् करे
सू-ए॒ कऽबह् हम् मुसल्लम् क्या करेँ?
[ऽइब्न्-ए॒ मर्यम् = son of Mary]
वाँ ते॒री क़ातिल् नज़र्, याँ दिल् मे॒रा;
अब् ख़याल्-ए॒ ऽइब्न्-ए॒ मर्यम् क्या करेँ!
[हिज्र् = separation] [मह्रम् = confidant]
हिज्र् मेँ हम् जल् के॒ हो जाएँ न ख़ाक्;
कुछ् सुना, ऐ दाघ़्-ए॒ मह्रम्, "क्या करेँ?"
[मुक़द्दम् = leader]
हर् नज़र्, हर् ज़िक्र् पर् मर्ता है॒ वह्!
ऐसे॒ ऽआशिक़् को मुक़द्दम् क्या करेँ!
[मातम् = lament/grieve a loss]
जीत् ली बाज़ी-ए॒ दिल् मर् कर् सही;
दोस्तो! _रौशन्_ का॒ मातम् क्या करेँ!